भारतीय ज्योतिष विज्ञान का विरोध किसलिये हो रहा है। चंद ज्योतिषी इस आड़ में यहां के लोगों को मूर्ख बना रहे हैं और हम यह जानते हैं। इसे बार बार दोहराने से क्या मतलब है? यहां के लोगों को बेवकूफ समझते हैं और अंग्रेजी शिक्षा पाने के बाद कुछ कथित विद्वान समझते हैं कि यह देश मूर्खों का है। कुछ लोग तो पाश्चात्य सभ्यता में ऐसे रम गये लगते हैं और उनको यह लगता है कि ‘हमारे अलावा यह सब मूर्ख बसते हैं।’
सूर्य ग्रहण या चंद्रग्रहण क्या आता है भारतीय टीवी चैनल चंद ज्योतिषियों को लेकर बैठ जाते हैं। फिर शुरु होती है बहस। ज्योतिष पर ही बहस हो तो ठीक, पर वहां तो श्रीगीता मद्भागवत का विषय भी छा जाता है। श्रीमद्भागवत गीता वास्तव में अद्भुत ग्रंथ है। आप रोज पढ़िये समझ में तब तक नहीं आयेगा जब तक भक्ति भाव के साथ ही ज्ञान प्राप्ति की प्यास मन में नहीं होगी। जब समझ में आयेगा तो फिर आप किसी से बहस नहीं करेंगे। कोई अन्य एक बार करेगा पर फिर दूसरी बार सोचेगा भी नहीं। अगर आप श्रीगीता से लेकर बोल रहे हैं और अगले को चुप नहीं करा पाये तो समझ लीजिये कि आपको अभी सिद्धि नहीं मिली। मगर यह ज्योतिषी अपने व्यवसायिक हितों के लिये अनावश्यक रूप से श्रीमद्भागवत गीता को बीच में लाते हैं।
दरअसल भारतीय अध्यात्म पर हमले करने के लिये विरोधी लोगों को केवल तोते से ज्योतिष बताकर पैसे एैंठने वाले ही दिखते हैं। उस दिन तो हद ही हो गयी। एक साथ दो चैनलों पर सूर्य ग्रहण के बाद बहस चल रही थी। एक दक्षिण का तर्कशास्त्री एक ही समय दो चैनलों पर दिखाई दे रहा था। नाम से गैर हिन्दू धर्म का प्रतीत होने वाला वह शख्स तर्कशास्त्री कैसे था यह तो नहीं मालुम-वह अपने को नास्तिक बता रहा था- पर वह एक जगह भविष्यवक्ता और दूसरी जगह तंत्र मंत्र वाले से जूझता दिखा-दोनों बहसें पहले से ही कैमरे में दर्ज की गयी थी।
भविष्यवक्ता से उस कथित तर्कशास्त्री बहस पहले सीधे हुई थी। उसमें उसने अपनी जन्मतिथि बताई तो भविष्यवक्ता ने उससे कहा कि ‘तुम्हारा घरेलू जीवन तनाव से भरा है।’
उसने इंकार किया और तब उसकी पत्नी से फोन पर पूछा गया तो वह भी ज्योतिषी की बात से असहमत हुई। बात आयी गयी खत्म होना चाहिये थी पर नहीं! अगले दिन फिर वह तर्कशास्त्री आया और आरोप लगाया कि ज्योतिषी उसकी जन्मतिथि पूछने के बाद फोन करने गया था, और वहीं से किसी से पूछकर भविष्य बताया। चैनल में काम करने वाली एक महिला तकनीशियन ने उसे बताया था कि ज्योतिषी का एक एस. एम. एस आया था। ज्योतिषी अब फोन पर बात करते हुए बता रहा था कि ‘उस समय तो मेरा फोन ही बंद था।’
चैनल की महिला तकनीशियन ने बताया कि यह संदेश बहस समाप्ति के बाद ही आया था। बहस का ओर छोर नहीं मिल रहा था।
यही तर्कशास्त्री उसी समय एक दूसरे चैनल पर एक तांत्रिक से उलझा हुआ था। तांत्रिक कह रहा था कि मैं तीन मिनट में तुम्हें बेहोश कर दूंगा। तांत्रिक को अवसर दिया गया पर वह ऐसा नहीं कर सका। इस दौरान वह संस्कृत के श्लोकों का उच्चारण करता रहा। अब कौन कहे कि कहां ज्योतिष और कहां यह तंत्र मंत्र! मगर चूंकि भारतीय अध्यात्म को निशाना बनाना है तो ऐसे अनेक विषय मिल ही जाते हैं।
इस पूरी बहस में हमें हंसी आयी। ऐसा लगता है कि श्रीमद्भागवत गीता की तरह ज्योतिष भी एक ऐसा विषय है जो चाहे जितना पढ़ लो समझ में नहीं आ सकता जब तक अपने रक्त में समझदार तत्व प्रवाहित न हो रहे हों। इसी बहस में एक ज्योतिष पढ़ चुकी महिला कह रही थी कि मुझे ज्योतिष में विश्वास नहीं है। यहां तक कि मैं अपना भविष्यफल जानने की कोशिश नहीं करती।’
इसलिये हमें यह लगा कि ज्योतिष भी श्रीगीता की तरह सभी के समझ में न आने वाला विषय हो सकता है। आखिरी ज्योतिष पढ़ चुकी एक महिला कह रही है तो यही समझा जा सकता है।
बहरहाल हमें यह लगा कि इस आड़ के भारतीय अध्यात्मिक दर्शन का मजाक उड़ाने का प्रयास हो रहा है। ज्योतिष विषय पर टीवी पर ही एक विद्वान द्वारा दी गयी जानकारी हमें अच्छी लगी। उसने बताया कि ज्योतिष के छह भाग हैं जिनमें एक ही भाग ऐसा है जिसमें समय समय पर पूछने पर भविष्य बताया जाता है। उन्होंने बताया कि गणितीय गणना भी ज्योतिष का भाग है जिसके आधार पर हमारे पुराने विद्वानों ने सूरज, चंद्रमा तथा अन्य ग्रहों का पता लगाया था।
वैसे पता नहीं कैसे लोग कहते हैं कि ग्रहों का असर नहीं होता? इस विषय पर हमारा आधुनिक तर्कशास्त्रियों से मतभेद है। सूर्य जब दक्षिणायन होता है तो ठंड पड़ती है। यह ठंड आदमी को शरीर को कंपकंपा देती है और यकीनन उसकी मनस्थिति बिगड़ती है। आधुनिक विज्ञानी एक तरफ कहते हैं कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग रहता है तब यह कैसे संभव है कि गर्मी फैला रहे सूर्य में जल रहा शरीर अपना ठंडा दिमाग रख सके। श्रीगीता के ‘गुण ही गुण बरतते हैं’ के सिद्धांत को हमने अपनी देह पर लागू होते देखा है। जब परेशान होते हैं तब सूर्य, चंद्रमा और आकाश की स्थिति को देखकर लगता है कि यह सभी ग्रहों का असर है। जब यह बदलेंगे तो हमारी मानसिकता भी बदलेगी। एक सम्मानित वैज्ञानिक भी वहां आये थे-यकीनन वह बहुत महान हैं पर उनको ग्रहण के अवसर पर ही लाया जाता है। हमने कभी किसी ग्रहण के अवसर पर एक कार्यक्रम में उनको कहते सुना था कि ‘हम यह तो पता नहीं लगा सके कि धरती से बाहर जीवन है कि नहीं, पर यह तय है कि जीवन के आधार वहां ऐसे ही होंगे।’
उन्होंने शायद यह भी कहा था कि जिस तरह धरती और सूर्य के बीच अन्य ग्रह हैं वह दूसरी सृष्टि में भी होंगेे तभी वहां जीवन होगा। तात्पर्य यह है कि कहीं जीवन होगा तो वहां ऐसी प्रथ्वी होगी जिसके पास अपना सूर्य, चंद्रमा, बृहस्पति, शुक्र, बुध, शनि, मंगल तथा अन्य ग्र्रह भी होंगे। हम इसे यह भी कह सकते हैं कि यह ग्रह सभी प्रकार के जीवन का आधार हैं तो फिर यह कैसे संभव है कि वह मनुष्य जीवन को प्रभावित न करें।
हमने अपने अनुभव से एक बात यह देखी है कि एक ही नाम के दो व्यक्ति में कई बार स्वभावगत, परिवार तथा वैचारिक स्तर पर समानता होती है। यह सही है कि सभी का जीवन स्तर समान नहीं होता पर उनकी आदतें और विचार एक ही तरह के दिखते हैं। संभव है कुछ ज्योतिषी इसका दुरुपयोग करते हों पर सभी को इसके लिये गलत नहीं ठहराया जा सकता।
दूसरी बात यह है कि ज्योतिष में ही हमारा खगोल शास्त्र भी जुड़ा हुआ है। हमारे यहां अनेक पंचांग छपते हैं जिनमें सूर्य और चंद्रग्रहण की तारीख और समय छपा होता है और जो पश्चिमी विज्ञान की भविष्यवाणी से मेल खाता है। भारत में अनेक लोगों को पता होता है कि अमुक तारीख को सूर्य या चंद्रग्रहण होगा। अखबार और टीवी में तो बहुत बाद में पढ़ते हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि भारतीय ज्योतिष एक विज्ञान है मगर इस विषय पर वही लोग बोल और लिख रहे हैं जिनको इसका ज्ञान नहीं है-इनमें वह लोग भी हैं जो पढ़े पर समझ नहीं पाये। वैसे इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस तरह की बहसें प्रायोजित हैं ताकि भारतीय अध्यात्म को विस्मृत किया जा सके। एक तर्कशास्त्री की दो जगह उपस्थित यही प्रमाणित करती है।
आखिरी सलाह ज्योतिषियों को भी है कि हो सके तो वह श्रीमद्भागवत गीता से दूर ही रहें क्योंकि वह समझना भी हरेक के बूते का नहीं है। उसमें जो योग और ध्यान के अभ्यास का संदेश दिया गया है उसमें इतनी शक्ति है कि उससे न यहां आदमी इहलोक बल्कि परलोक भी सुधार लेता है। सूर्य इस देह को जला सकता है पर उस आत्मा को नहीं जो न जल सकती है न मर सकती है। किसी भी प्रकार के विज्ञान से परिपूर्ण होने की बात तो उसमें कही गयी है पर इसका मतलब यह नहीं है कि ज्योतिष विज्ञान में पारंगत होने का आशय श्रीगीता सिद्ध हो जाना है। वैसे ज्योतिषियों को यह पता होना चाहिये कि इस तरह अपने ज्ञान का प्रदर्शन अज्ञानियों के सामने प्रदर्शन तामसी प्रवृत्ति का परिचायक है और उनके सामने श्रीगीता का ज्ञान देने की मनाही तो स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने भी की है।
कवि लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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टिप्पणियाँ
THANKS DPKRAJ JI . IAM READ DAILI GITA. IS GOOG KNOWLEDG TO YOUE WEBSITE
GITA KA PATH PADANE SE AISA LAGATA HAI .KI BHAGAWAN SHRI KRISHAN ES DHARATI PAR AABHI BHI WASA HAI.
bahot hi achha hai gita ka gyan
namaskaar ji . ji aapne jo upar likha hai bilkul sahi hai shrimadbhagvat ka gyaan itna hai ki koi puri umar bhi pad le to thodi hogi .lekin is bhagvat ko pad k apne andar dhaaran krna buhut mushkil hai .yeh gyaan to vo log hi samjh sakte thy jo us samay hue (satyug,dvaparyug k )lekin aaj k kalyug k insaan chahte hue bhi is ka gyaan nhi pa sakte log paap kregy to kregy hi.aaj k insaan pehle wale nhi hai .bas logo ka kaam hai kisi k kaam ko bigaadna or kush ho jana yehi to kalyug ki shuruvaat hai ji aagy aagy dekheiye kaisa ghor kalyug aaye ga.sun to sab lete hai lekin dhaaran koi koi krta hai .haan isse padne se jo aanand milta hai vo shabdo mein nhi bta sakte ase lagta hai hum usi kisi kahani k paatar hai namaskaar ji.
DEEPAK BABU JI JYOTISH-GYAN EK TERHA SAY JATIL GYAN HA.. JYOTISH-GYAN AAM ADAMI KI SAMAJ VA PERKH KI SEMAO SAY BHUT DOOR HA. JYOTISH-GYAN KOI AJJ KAY YUG KA NAYA GYAN TO HA NAHI JYOTISH-GYAN PEHLAY BEET GYE YUGO KAY MAHAN RISI-MUNIYO NAYE APANI YOG-VIDYO DAWARA VA APNI DOOR-DRISTI DAWARA AKASH MAY GRAHO KI PRISTITO KO SAMJA VA JANA AURTHAT GRAH VA NAKSTRO KI KHOJ KI. JIS ADHAR PER HI JYOTISH-GYAN KI UTPATI HUI. JYOTISH-GYAN KI VIDYA HI US SAMAY-KAL KAY YUGO MAY SIKSHA KAY ROOP MAY DI JATHI THI. AUR US SAMAY JYOTISH-GYAN KAYJANNAY WALO KA BHUT HI SAMMAN HOTA THA. JYOTISH-GYAN SHURU SAY HI UCHAY-VERGIAY VYAKTIO KAY LIYE HI THA. JYOTISH-GYAN KISI KI BI JANAM-KUNDLI MAY BETAY GRAHO KAY ADHAR PER KEHA JATA HA. SATYA SUNNA TO ES YUG MAY SYAD KISI KAY BAS KI BAAT HI NAHI HA. AJJ YHA SANSAR ES YUG MAY JHOOT KA GODOWN BAN CHUKA HA. JYOTISHO KAY PASS PUCH KER AJJ-KAL KAY LOG ACHA-ACHA HI SUNNA CHAHATY HA. NAHI TO JYOTISH-GYAN KO BADNAM KERTAY NAHI THAKTAY HA. FIR MEDIYA KAY MADYAM KAY DAWARA YADI KISI KI JANAM-KUNDLI KI KAMIYO VA US KAY KARMO KAY SATYA GYAN KO SARI PUBLIC KAY SAMNAY BOLA JAYE GA TO SAHI SAY SAHI VYAKTI BI SAF -SAF MUKAR JAYE GA. TO VAHA JYOTISH-GYAN KON SAY APNAY JANDHAY GARDE GA. JYOTISH-GYAN EK BHUT HI GUPT-ROOP KA GYAN HA. MEDIYA KAY MADYAM SAY TO KISI VYAKTI KO APNI JANAM-KUNDLI KI JANKARI NAHI LAYNI CHIYE. AUR MERA SABI JYOTISHO SAY ANURODH BI HA KI MEDIYA KAY MADYAM SAY JYOTISH-GYAN KO BADHNAM MATT HONAY DO. DO MINTS KAY ANDER TELEVISIN SCREEN PER SAY JYOTISH-GYAN KABI BI NAHI MIL SAKTA.. JYOTISH-GYAN TELEVISIN KAY MADYAM SAY JANNA NIRADHAR MAY ATTA HA. 9 GRAH- 12RASIYA-28 NAKSHARA JANAM-JANAM KUNDLI KAY 12GHAR-CHANDER KUNDLI KAY 12GHAR -NAVANS-KNDLI KAY 12GHAR ESI PRAKER SABI GHRA-KNDLIO KAY 12-12-GHAR FIR MAHA-DASA ANTER-DASA PRITI-ANTER DASA SARI JANKARIYA JANAM-KUNDLI MAY JANNAY KAY BADH HI JYOTISH-GYAN FIR KISI VYAKTI KAY LIYE KEHA JANA CHIYE . JYOTISH-GYAN KI JANKARI GUPT-ROOP SAY HA. NAKI OPAN-ROOP SAY . JASIE MA EK CHOTTA SA EXAMPLE DANYE JA RAHA HU JO MIDIYA VA FILAM IND MAY KAM KERTAY HA WO SUKRA-GRAH KI WAJHA SAY ES KARIYE -MAY TATPER HA. ESI PRAKER DR. ENGINERS AJJ-KAL SOFT-WARE ENG. MAJISTRAT POLICE RA……….KYA BANU GA KYA NAHI BANU GA. LAKHO- KARORO JANKRIYA HA JANAM KUNDLIO MAY. MA EK SATYA-GYAN DANAY JA RAHA HU APNAY PYARE PRITVI-LOK VASHIO KO. SANSAR KA JAB KI KOI BI VYAKTI APNAY BANK A/C KI PASS-BOOK KI JANKARI KISI KO BI DIKHA KER RAJI-NAHI HA. FIR APNI JANAM-KUNDL KI GUPT JANKARIYA OPAN HISAB SAY VA TELEVISIN KAY MADYAM SAY KAISE JAN SAKTAY HO. [BAKI MANO YA NA MANO YHA ABB APPJANO]
RAKESH MEHRA JYOTISH MAHARAT
आप बहुत अच्छी तरह विषय को बताया है I
Thik hai
so knolege
hay …..hallo …ji.
b-hut accha
very nice
Bahut aachikhar likhi aapane
Geeta
sahi hai aapki tarah log soche to baat hi kya…is jyotish shastra par