पहला ब्लोगर घर के दरवाजे से बाहर निकल ही रहा था की दूसरा ब्लोगर वहाँ पहुंच गया। उसे देखकर वह गया और उसे खींचकर घर से दूर ले गया और बोला-”तुम यहाँ क्यों आये? तुम्हारे बारे में अपने घर में मैंने बताया है कि मित्र हो कोई ब्लोगर नहीं।”
दूसरा ब्लोगर बोला-”यार तुम भी मेरी तरफ डरपोक हो,अपने घरवालों से घबडाते हो।”
पहला ब्लोगर”-नहीं मैं तुमसे अधिक डरपोक हूँ, बताओ क्यों आये हो?”
दूसरा ब्लोगर-यार बहुत दिन से ब्लोगिंग नहीं की, और घर पर कभी मेरे बच्चे अब मुझे बैठने नहीं देते, और कुछ न कुछ सीखने के नाम पर उससे चिपके रहते हैं और जब कुछ कहता हूँ तो उनकी मान लड़ने आ जाती है। उससे भी बचता हूँ तो उधार वापस मांगने वाले आ जाते हैं। मैंने सोचा तुम्हारे घर पर ही ब्लोगिंग कर लूं। इससे हम दोनों को फायदा होगा। पर जाने दो यार! तुम घर पर मुसीबत में न आ जाओ इसलिए जाता हूँ।
पहला ब्लोगर बोला-”हाँ जाओ, पर मैं किसी डर के कारण तुमको जाने के लिए नहीं कह रहा हूँ, तुम्हारी ब्लोगिंग से मुझे खतरे हैं इसलिए तुम्हें अपने घर पर इसकी इजाजत नहीं दे सकता।”
“क्या ख़तरा है? मैं कोई पोस्ट थोडे ही लिखता हूँ। कमेन्ट ही तो लिखनी है। बहुत दिन से मेरे दोस्त याद कर रहे होंगे।”दूसरा बोला।
”कमेन्ट! तुम कमेन्ट लिखते हो। ताज्जुब है?”पहले ने हैरान होने का नाटक करते हुए कहा।
”और क्या लिखता हूँ?”दूसरे ने कहा।
”मेरे ख्याल से उसे अभद्र शब्दों का पिटारा कहना चाहिए। नहीं, तुम जाओ। यहाँ मुझे फंसा दोगे।”पहले ने कहा।
दूसरे ने कहा-”नही यार, तुम मुझे गलत मत समझो। गाली देकर दिर माफ़ी भी तो मांग लेता हूँ। वैसे तुम्हारे पास आने का एक और भी कारण था। मैं अपने ईमेल का पासवर्ड भी भूल गया हूँ। सोचा तुम्हारे ईमेल पर ही काम कर लूं।”
”तब तो बिलकुल नहीं।”पहले ब्लोगर ने कहा–”तुम जैसे आदमी को अपने ईमेल का इस्तेमाल करने जैसे बेवकूफी नहीं करूंगा। कहीं तुने अंट-शंट लिख दिया तो क्या जवाब दूंगा। ईमेल तो साफ पढ़ने में आता है।”
”कोई बात नहीं, वैसे तो कोई ब्लोगर इतनी खोजबीन नहीं करता और कोई करे भी तो खंडन कर देना। मैं अभद्र शब्द लिखूं तुम अपनी तरफ से खंडन कर देना.” दूसरे ब्लोगर ने कहा।
”नहीं, बिलकुल नहीं!” पहेल ब्लोगर ने कहा
”यार, तुमने वाकई सही कहा था मुझसे अधिक डरपोक हो। मैं कई बार ऐसा कर चुका हूँ, पहले जो चाहे लिख देता हूँ फिर कहीं माफ़ी मांगता हूँ कहीं नहीं। अब इसके तुम्हारा क्या जाता है? मैं अंट-शंट लिख दूं तो तुम खंडन कर देना.”
पहले ब्लोगर ने आँखे तरेरते हुए कहा-”मैं अंट-शंट लिखने और कहने में डरपोक हूँ पर सुनने और पढ़ने में बिलकुल नहीं समझे। एक बात तुम्हारी गलती माफ़ कर चुका हूँ पर अब उम्मीद नहीं करना।”
दूसरा बोला-”यार गुस्सा क्यों करते हो अब मैं जा रहा हूँ, पर हाँ इस ब्लोग मीट पर जरूर लिखना। वैसे मैंने सोचा कि तुमने काम करने दिया तो ठीक और नहीं तो ब्लोगर मीट तो हो ही जायेगी।
वह चला गया तो पहला ब्लोगर सोच में पड़ गया कि ‘यह भला कि भला यह किस तरह की ब्लोगर मीट थी। फिर उसे याद आया कि उसने यह तो बताया ही नहीं कि इस ब्लोगर मीट पर कविता लिखना है कि नहीं। फिर टी किया कि इस बार हास्य आलेख ही लिख देता हूँ, अगली बार पूछ लूंगा। वह अपनी होठों में बुदबुदाया’मैं अंट-शंट लिख दूं तुम खंडन कर देना.
नोट-यह मेरा हास्य आलेख स्वरचित और काल्पनिक है और किसी घटना और व्यक्ति से इसका कोई संबन्ध नहीं है और अगर किसी की खुराफात से मेल खा जाये तो वही जिम्मेदार है क्योंकि इन पंक्तियों का लेखक किसी ऐसे ब्लोगर से मिला ही नहीं जो अभद्र शब्द लिखता हो।
Like this:
पसंद करें लोड हो रहा है...