जमाने को रास्ता बताने के लिए
हर रोज एक नया चेहरा क्यों चाहिए,
इंसानों को इंसानों से बचाने के लिए
रोज किसी नए चौकीदार का पहरा क्यों चाहिए,
यकीनन इस धरती पर लोग
कभी भरोसे लायक नहीं रहे
वरना कदम दर कदम
धोखे से बचने के लिए एक ईमानदार क्यों चाहिए।
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आओ
बेईमानों की भीड़ में
कोई ऐसा आदमी ढूंढकर
पहरे पर लगाएँ,
जिसकी ईमानदारी के चर्चे बहुत हों,
धोखा दिया हो
मगर कभी पकड़ा नहीं गया हो।
पुराने बदनाम हैं
इसलिए उसका चेहरा भी नया हो।
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संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak “Bharatdeep”,Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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