श्रीगुरुग्रंथ साहिब-अपने हृदय में पवित्र संकल्प धारण करें (shri guru granth sahib-paivitra sankalp dharan karen)


‘राम नाम करता सभ जग फिरै, राम न पाया जाए
गुर के शब्दि भेदिआ, इन बिध वसिआ मन आए।।’
हिन्दी में भावार्थ-
श्रीगुरुग्रंथ साहिब की पवित्र वाणी के अनुसार राम का नाम तो सारा संसार जपता है पर फिर भी किसी को राम नहीं मिलता। गुरु से शब्द ग्रहण कर अगर राम की भक्ति हृदय से की जाये तभी लाभ हो सकता है।
‘साई वस्तु परापति होई, जिसु सिउ लाइआ हेतु।’
हिन्दी में भावार्थ-
श्री गुरुग्रंथ साहिब की पवित्र वाणी के अनुसार किसी भी मनुष्य की उपलब्धि उसके अच्छे और बुरे संकल्प के अनुसार ही होती है।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-यह संसार तो जीव के संकल्प के अनुसार ही उसे दिखाई देता है। श्रीमद्भागवत गीता में यह स्पष्ट किया गया है कि यह संसार परमात्मा के संकल्प के आधार पर ही स्थित है। उसी तरह जीव जैसा संकल्प करता है वैसा ही यह संसार उसके लिये हो जाता है। हम चाहे जिस व्यवसाय या नौकरी में हों अपने संकल्प की शुद्धता पर ही ध्यान देना चाहिए। अगर हम अपने अच्छे कर्म के भी बुरे परिणाम पर विचार करेंगे तो वही सामने आयेगा-उसी तरह बुरा कर्म करेंगे तो चाहे अच्छा सोचें तब भी बुरा परिणाम आयेगा। इसलिये अपने मन में अच्छे कर्म करने के साथ ही उसके अच्छे परिणाम का संकल्प ही धारण करना चाहिये।
अपना संकल्प परमात्मा भक्ति में दृढ़ रूप से स्थित रखने का प्रयास करना चाहिए। केवल मुंह से माला जपते हुए मुख से राम का नाम जपने से तब तक कोई लाभ नहीं हो सकता जब तक उसे हृदय में धारण न करें। दिखावे के लिये नाम जपना या दान करना एक तरह एक ऐसा ढोंग है जिसे सभी पहचान लेते हैं यह अलग बात है कि सामने कोई कहता नहीं है। दूसरा कहे या न कहे पर हम अपने मन में स्वयं जानते हैं कि स्वयं ढोंग कर रहे हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि सांसरिक कर्म हो या भक्ति उनको करते समय अपने संकल्प और विचारों की शुद्धता पर ध्यान अवश्य देना चाहिये।

संकलक, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com

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यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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टिप्पणियाँ

  • Tarkeshwar Giri  On 13/03/2010 at 14:12

    Bahut hi badiya jankari di aapne. Guru givind doi khade, kake lago panw.Balihari guru aapne , Govind diye batay.

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