कभी उजड़ता तो कभी महकता है चमन-कविता


जिनको देखने के लिय मचलता है मन
अगर वह पास आते हैं तो
हो जाता है अमन
बातें होतीं हैं प्यारी
कभी होती है तकरार भी भारी
पर प्रेम के पथ पर
चलने वाले कभी रुकते नहीं
लगता है जहां खड़े हैं
कदम उनके बरसों तक थमें रहेंगे यहीं
पर मिलना और बिछुड़ना तो
इस दुनियां की रीति है
चले जाते हैं वह जब आंखों से दूर
अंधियारी हो जाती है यह दुनियां
वीरान हो जाता हे चमन

फिर चलता है यादों का
कभी खत्म ना होने वाला दौर
कहीं चैन नहीं आता न मिलता कोई ठौर
कभी हंसते हुए बात करने की याद आती
जो हुई थी तकरार वह भी मन भाती
बिछ+ड़ गये अब क्या
फिर कभी आयेंगे
जीवन को महकायेंगे
जिंदगी की तरह धरती के भी कायदे हैं
कभी उजड़ता तो कभी महकता है चमन
…………………………………

दीपक भारतदीप

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टिप्पणियाँ

  • mehek  On 10/06/2008 at 18:04

    फिर चलता है यादों का
    कभी खत्म ना होने वाला दौर
    कहीं चैन नहीं आता न मिलता कोई ठौर
    कभी हंसते हुए बात करने की याद आती
    जो हुई थी तकरार वह भी मन भाती
    thodisi nok jhok to honi hi chahiye,magar jyada nahi,pyar mitha se jyada namkin ho jyada achha,
    फिर कभी आयेंगे
    जीवन को महकायेंगे
    जिंदगी की तरह धरती के भी कायदे हैं
    कभी उजड़ता तो कभी महकता है चमन
    bahit sahi,wo gujare din laut kar phir mehekte hai bahut hi sundar badhai.

  • ranjanabhatia  On 11/06/2008 at 03:43

    पर मिलना और बिछुड़ना तो
    इस दुनियां की रीति है
    चले जाते हैं वह जब आंखों से दूर
    अंधियारी हो जाती है यह दुनियां
    वीरान हो जाता हे चमन

    बहुत सुंदर लिखा है आपने .

  • hemant  On 25/06/2008 at 15:36

    acha laga apki ye kavita padhke man ko sukun milgaya dhanyvad

  • hemant  On 25/06/2008 at 15:40

    iqsh karna to lagta ho jese mot se bhi badkar eik saja he .kisise kya shikayad kare sali apni takdir hi bevfa he.

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